विजय स्तम्भ का नाम मात्र सुनने भर से चित्तौड़गढ़ के अभेद्य दुर्ग पर स्तिथ इस अनूठी इमारत की कृति मानस पटल पर बन आती है | विश्वप्रसिद्ध विजय स्तम्भ मेवाड़ की दीर्घ कालीन राजधानी और वीरता व पराक्रम के प्रतीक चितौड़गढ़ दुर्ग पर स्तिथ है | विजय स्तम्भ (Victory Tower) के निर्माण की कहानी हमें इतिहास के पन्नों को पलटने को मज़बूर कर देती है | इतिहासकार बताते है कि विजय स्तम्भ का निर्माण 1437 में मेवाड़ नरेश राणा कुम्भा ने महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली मालवा और गुजरात की सेनाओं पर विजय हासिल करने के बाद विजय प्रतीक (Victory Tower) के रूप में बनवाया था | इतिहासकार बताते है कि राणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद को ना केवल युद्ध में हराया , बल्कि उसे चितौड़गढ़ में छह माह तक बंदी भी बनाकर रखा. “बाबरनामा” में इस प्रसंग का भी वर्णन मिलता है कि महाराणा सांगा को खानवा के मैदान में हराने के बाद बाबर ने उनके राजकोष से वह मुकुट भी प्राप्त किया जिसे राणा सांगा के दादा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान से जीता था.इतिहासकार बताते है कि विजय स्तम्भ के वास्तुकार राव जैता थे |

विजय स्तम्भ chittorgarh
122 फीट ऊंचा और 9 मंजिला विजय स्तंभ स्थापत्य कला और सुन्दर नक्काशी का नायब नमूना है | विजय स्तम्भ डमरू के आकर में बना है , जो नीचे से चौड़ा, बीच में संकरा एवं ऊपर से फिर बड़ा स्वरुप लिए हुए है |विजय स्तम्भ में ऊपर तक जाने के लिए 157 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं जिसके द्वारा विजय स्तम्भ में चढ़ा जा सकता है । इतिहास में वर्णन मिलता है की विजय स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने अपने समय के महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में करवाया था। विजय स्तम्भ के अंदर और बाहर दोनों ही भागों पर देवी-देवताओं की कलाकृतिया बनी हुई है | विजय के इस प्रतीक पर अर्द्धनारीश्वर, उमा-महेश्वर, लक्ष्मीनारायण, ब्रह्मा, पितामह विष्णु के विभिन्न रूपों तथा रामायण एवं महाभारत के पात्रों की अंसख्य मूर्तियां उत्कीर्ण हैं।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
विजय स्तंभ चित्तौड़गढ़ दुर्ग का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है | चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आने वाले पर्यटक विजय स्तंभ को देखे बगैर नहीं लौटते | इसका एक कारण यह भी है कि विजय स्तम्भ के चित्र बचपन से ही हर विद्यार्थी ने अपनी पाठ्य पुस्तकों और कापियों के मुखपृष्ठ पर देखी है | विजय स्तम्भ को जब पर्यटक सम्मुख देखते है तो अभिभूत हो उठते है | चाहे देशी पर्यटक हो या विदेशी सभी विजय सतम्भ की फोटोग्राफी और उसके साथ अपने फोटो खिचवाने और सेल्फी लेने से नहीं चूकते |हालांकि वर्तमान में चित्तौड़गढ़ दुर्ग के आस पास होने वाले खनन कार्यो से इसमें दरारे भी आयी है |
Night View of Victory Tower

विजय स्तम्भ
कनेक्टिविटी बेहतर , टिकट भी सस्ता
विजय स्तंभ पहुंचने के लिए चित्तौड़गढ़ पहुंचना जरुरी है | चित्तौड़गढ़ सड़क और रेल मार्ग से आसानी से पंहुचा जा सकता है | चित्तौड़गढ़ का नज़दीकी एयरपोर्ट उदयपुर का डबोक एयरपोर्ट है | डबोक एयरपोर्ट से कैब , बस या ट्रैन के जरिये चित्तौड़गढ़ पंहुचा जा सकता है | चित्तौड़गढ़ शहर से ऑटो मामूली किराये पर दुर्ग पर पर्यटकों को पहुंचाते है | वियजयस्तम्भ का टिकट भी 10 और 20 रूपए का ही है |
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