इस article मे हम जानेंगे की सीता नवमी क्यों और कैसे मनाई जाती है| Sita navami माता सीता के जन्म दिवस के रूप मे मनाया जाता है| इस दिन को सीता जयंती, जानकी नवमी, जानकी जयंती भी कहते है| सीता नवमी बैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है| इस दिन विवाहित(married) हिन्दू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सफलता के लिए व्रत रखती है और देवी सीता की पूजा करती है|
Sita Navami कब मनाई जाती है:
माना जाता है की सीता का जन्म बैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था| इनका विवाह राम से हुआ और उनका जन्म चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था| इसलिए Hindu calendar के हिसाब से सीता जयंती राम नवमी के ठीक एक महीने बाद मनाई जाती है|
सीता नवमी तिथि, वार, तारिक:
Shukla Paksha Navami of Vaishak Hindi Month
Sita Navami on Friday, 21 may 2021
Sita Navami Madhayan Mahurat 10:58 am to 1:38 pm
सीता का जन्म:
सीता के जन्म के बारे में कई बातें बोली जाती है, लेकिन आज दिन तक यह clear नहीं हो पाया है की सीता का जन्म कहाँ हुआ| कुछ लोगो का कहना है की यह मिथिला के राजा जनक और माता सुनैना की गोद ली गई पुत्री थी|
- पोराणिक कथा (Hindu mythology) के अनुसार राजा जनक जब यज्ञ करने के लिए जमीन की जुताई कर रहे थे तभी उन्हें एक संदूक(golden casket) में लड़की मिली| संदूक जुताई वाली भूमि मे मिला और जुताई वाली भूमि को सीता कहते है, इसलिए राजा जनक ने उस लड़की को सीता नाम दिया| इस कथा के अनुसार सीता को भूमि की देवी भी कहते है|
- एक book, Ramayan Manjari, के अनुसार, राजा जनक ने आसमान में एक मेनका देखी और उनसे एक पुत्री प्राप्ति की इच्छा जताई| जब जनक को जुताई वाली भूमि पर सीता मिली तब मेनका फिर से आसमान में राजा को सन्देश देने के लिए नजर आई की उसने जनक की इच्छा को पूरा किया|
- Original Valmiki Ramayan के अनुसार, सीता राजा जनक की गोद ली गई पुत्री नहीं है, वह उसी की पुत्री है|
सीता का जन्म स्थल (birthplace):
पुरानी मान्यताओ के अनुसार, सीता के कई जन्म स्थल है…जैसे-
- Bihar के Sitamarhi district
- Nepal में Janakpur

देवी सीता के नामों के मतलब:
हम माँ सीता को कई नाम से जानते है, जैसे सीता, जानकी, भूमिपुत्री, मैथिलि आदि|
- सीता: भूमि
- जानकी: राजा जनक की पुत्री
- भूमिपुत्री: भूमि की पुत्री
- मैथिलि: मिथिला की राजकुमारी
सीता के गुण(qualities):
राम का विवाह सीता से हुआ| सीता बहुत ही शांत स्वभाव, सहनशील, राम के प्रति समर्पित और आदर भाव रखने वाली है| Ramayan मे कई जगह पर सीता के गुणों का बखान हुआ है|
जब राम को 14 साल के वनवास पर जाना पड़ा, तब उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से स्थिती को संभाला और धेर्य से परीस्थिती को स्वीकार किया| राम चाहते थे की उनकी पत्नी अयोध्या मे ही रहे, पर सीता ने इस बात को स्वीकार नहीं किया| अपने पतिवर्ता धर्म को ध्यान मे रखते हुए माता सीता ने अपने मन की बात सुनी और अपने पति के साथ वनवास जाने का मन बनाया| राम के बहुत समजाने के बाद भी, की जंगल का जीवन बहुत ही कस्टदायक है, फिर भी सीता अपने फैसले पर टिकी रही| उनका कहना था की वो अपने पति के साथ कही पर भी खुश और सुरक्षित रह सकती है| इतना सब होने के बाद राम सीता की बात से सहमत हुए और सीता ने अपने सारे गहने और कीमती सामान राज्य को सोप कर वनवास के लिए निकल पड़े| वन मे जो भी खाने के लिए फल आदि मिलते थे, दोनों ख़ुशी से खाते थे| जब रावन ने सीता का हरण किया, तब सीता ने बिना निडर होकर उससे कहा की ‘तुम जल्द ही राम के हाथो मरने वाले हो’| इस कथा से सीता का राम के प्रति भक्ति और समर्पण के गुण का पता चलता है|
राम और सीता का विवाह:
रामायण मे भगवान राम और माता सीता के विवाह का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है| जब सीता बड़ी हुई तो राजा जनक ने उनके लिए स्वयंवर का आयोजन किया| जिसमे शक्तिशाली लोगो को बुलाया गया| स्वयंवर मे राजा ने शर्त रखी की जो इस आयोजन मे रखे इस धनुष को तोड़ेगा वही सीता से विवाह करेगा| वह कोई साधारण धनुष नहीं था …वह शिव धनुष था जो पापियों और दुष्ट आदमीयो के लिए तोडना आसान नहीं था| राजा ने इस धनुष को इसलिए चुना क्युकी जनक अपनी पुत्री के लिए एक शक्तिशाली और श्रेष्ट(best) वर चाहते थे| विश्वामित्र को जब इस आयोजन का पता चला तो उन्होंने राम को इसमें हिस्सा लेने को कहा| जब जनक को पता चला की राजा दशरत के पुत्र राम भी इस आयोजन मे भाग ले रहे है तो वह बहुत खुश हुए| जब सारे राजकुमार धनुष उठाने मे असफल हुए तब राम ने आसानी से शिव धनुष को बड़ी सरलता से तोड़ दिया| यह देख कर राजा जनक और उनके राज्य की प्रजा बड़ी प्रसन हुई| सीता का राम से विवाह कर सीता को अयोध्या भेज दिया|
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